09- 05 - 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 5
तबरेज की अम्मी आमना और भाभी फरिया अपने अपने कामों में लगी हुयी थी । कि तभी दरवाज़े पर दस्तक होती। फरिया जाकर दरवाज़ा खोलती तो देखती मिराल और ऐमन जो कि उसकी शादी शुदा नंदे है ।दरवाज़े पर खड़ी थी उन्हें देख कर वो खुश हो जाती।
ऐमन और मिराल अचानक ही अपने ससुराल से आ गयी थी दोनों के ससुराल ज्यादा दूर नहीं है ।
"भाभी केसी हो " दोनों ने पूछा
"मैं ठीक , तुम दोनों बताओ चलो अंदर आओ , अंदर बैठ कर बात करते है " फरिया उन्हें अंदर लेकर चलने लगी
"दुल्हन कौन है? , दरवाज़े पर " आमना ने अंदर से पूछा
"अम्मी, मि,,,, " फरिया कुछ कहती तभी मिराल और ऐमन ने मना कर दिया बताने से और कहा हम खुद उनके सामने जाएंगे
दोनों अपनी माँ के सामने आ जाती, आमना उन्हें देख खुश हो जाती और अपने गले से लगाती और पूछती " तुम दोनों इस वक़्त अचानक , कोई इत्तेला भी नहीं दी सब ठीक तो है यूं अचानक कैसे आना हुआ, तुम दोनों के शोहर तो ठीक है और ससुराल में तो कुछ नहीं हुआ है तुम्हारे "
"अरे! अम्मी आप सब माओ को अपनी बेटियों को अचानक शादी के बाद घर पर आता देख किया हो जाता है ।जरूरी तो नहीं जब कुछ होगा, तभी हम लोग आपसे मिलने आएंगे और ज़रूरी है कि हर बार हम अपने आने की खबर आप को पहले से दें, ताकि आप हमारी पसंद के खाने बनाने में खुद को थका लो, सब कुछ ठीक है , ससुराल में भी सब कुछ सही है और हमारे शोहर भी सही सलामत है ।वो तो बस अचानक मिराल का फ़ोन आया मेरे पास कि बाज़ी चलो घर चलते है शाम तक आ जाएंगे,अम्मी और भाई भाभी से मिलने को दिल कर रहा है
तो इस लिए हम आ गए , आप फ़िक्र मत करे हम अपने शोहर और सास से इज़ाज़त लेकर आये है " ऐमन ने कहा
"जिस दिन तुम दोनों भी माँ बन जाओगी और अपनी बेटियों कि शादी कर दोगी और फिर उन्हें अचानक अपनी ससुराल से आता देखोगी तब तुम्हे भी एहसास हो जाएगा मेरे और हर माँ के परेशान होने कि वजह भले ही माँ अपनी बेटियों को विदा कर देती है लेकिन हमेशा उसके बारे में ही सोचती रहती है ।
कि पता नहीं ससुराल में केसी होगी मेरी बच्ची , सब उससे खुश भी है या नहीं, उसने सबका दिल भी जीत लिया या नहीं और जब इस तरह अपनी बेटी को ससुराल से मायके वो भी बिना शोहर के आते देखो तो मन में बुरे बुरे ख्याल आते है । माँ हूँ शायद इसलिए क्यूंकि कोई भी अपनी औलाद का दुख बर्दाश नहीं कर सकती । आमना अपनी बात पूरी करती इससे पहले ही मिराल बोल उठी
अरे! अम्मी इतना परेशान मत हुआ करो हमारे लिए हम दोनों अपने ससुरालो में बहुत खुश है । आपने हमें जो संस्कार दिए है उन्ही के सहारे हम अपनी ग्रहस्ती को संवारने कि कोशिश कर रहे है , और वैसे भी ये सब बाते छोड़ो अब ये बताओ भाईजान और बाकी सब कहा है । और खाने में किया बनाया है बहुत भूख लगी है ।
" तबरेज तो वर्कशॉप गया है मामू की, और आरिफ थोड़ा सामान लेने गया है और ज़की कॉलेज गया है घर में इस समय हम दोनों सास बहूए ही होती है । क्या खाओगी , बहुत सही समय पर आयी हो फरिया अभी पूछ ही रही थी की दोपहर में किया बनाऊ अम्मी " आमना ने कहा
"बिरयानी बना लू ," फरिया ने कहा
"नहीं भाभी हम तो मज़ाक कर रहे थे , बेवजह गर्मी में थक जाओगी बिरयानी के चक्कर में,जो बना रही थी वही बना लो, सब साथ मिलकर खा लेंगे " ऐमन ने कहा
" नही थकने वाली कोई बात नही है बिरयानी ही तो बनाना है , कौन सा हलीम बनाना है , ये ( आरिफ ) बाजार में ही है , मैं अभी फ़ोन करके इनसे चिकन मंगा लेती हूँ और थोड़ा बहुत सामान ।अभी 12 बजे है "फरिया ने कहा
" नही भाभी आरिफ को परेशान मत करो बेवजह वो गुस्सा करता है अगर कोई उसे बाहर से कुछ मंगाने को कहता है , आप बस खिचड़ी बना लो हम सब वही खा लेंगे हम यहाँ किसी को परेशान करने नही आये है " मिराल ने कहा
" परेशानी की किया बात है बाज़ी, चले फिर जैसा आप कहे , मैं खिचड़ी बना लेती हूँ आप जब तक आराम कीजिये मैं फ्रिज से निकाल कर अभी ठंडी ठंडी कोल्ड्रिंक्स लाकर देती हूँ " फरिया ने कहा और चली गयी
"और अम्मी आप केसी हो, आपके घुटनो का दर्द केसा है " दोनों ने पूछा
"वैसा ही है , कम्बख्त लगता है क़ब्र में लेटा कर ही जान छोड़ेगा " आमना ने कहा
"अरे अम्मी ऐसी बाते ना किया करे , अभी तो आपको अपने नवासो , पोतियों को खिलाना है अपनी गोदी में, अच्छा अम्मी भाईजान से शादी को लेकर कुछ बात हुयी, मेरी सास रोज़ मुझसे पूछती रहती है , तबरेज की शादी कब कर रही हो, कोई लड़की देखी या नहीं" मिराल ने कहा
"हाँ अम्मी बाज़ी सही कह रही है , मेरी नन्दे भी पूछ रही थी कि भाई की शादी कब कर रही हो, अम्मी भाई से कहे जल्दी शादी करले वरना मेरी सास या नन्द अपनी किसी भांजी या भतीजी को भाई के माथे मड़ने की ज़िद्द कर लेंगी।
गले में फसी हड्डी बन जाएगी फिर , ना उगलने के और ना निगलने के बेवजह रिश्तो में दरार आ जाएगी अगर मना किया रिश्ते से तो " ऐमन ने कहा
"ज़रूर तेरी ससुराल से तो कोई लड़की अपनी भाभी बना कर नहीं लाऊंगी, देखा नहीं था तेरी शादी में, तेरी नन्दो ने केसा नाटक किया था कपड़ो को लेकर , जब तेरी नन्दे और सास ऐसी है तो भला उनकी भांजी और भतीज्या केसी होंगी " मिराल ने कहा
"इसीलिए तो अम्मी से कह रही हूँ, कि कही और भाई का रिश्ता देखले अगर एक बार मेरी सास और नन्दो ने इनके ( ऐमन का शोहर ) दिमाग़ में बात डाल दी भाई के लिए अपनी किसी भांजी या भतीजी कि तो फिर मैं भी कुछ नहीं कर सकती ।" ऐमन ने कहा
"ये सब तुम अपने भाईजान से कहना , आज सुबह ही मेने उससे कहा था कि शादी करले लेकिन उसने इतनी ज़िम्मेदारियां पूरी करने की बात कर दी कि मैं खामोश हो गयी।
दुनिया को लग रहा होगा कि माँ बेटे की कमाई की वजह से शादी नहीं करवा रही है , लेकिन उन्हें किया पता की बेटा खुद अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने की वजह से शादी नहीं करना चाहता " आमना ने कहा
"अच्छा, आज करते है हम दोनों भाईजान से बात हमारी बात नहीं टालेंगे " दोनों ने कहा
" भाभी कुछ मदद कर वाउ " मिराल ने कहा
"नही बाज़ी सारा काम हो गया आप सब हाथ धोकर बैठ जाए खाने के लिए " फरिया ने कहा
"बड़ी जल्दी बना लिया खाना भाभी ने "ऐमन ने हैरानी से कहा
"हाँ, बेचारी सब कुछ फुर्ती से करती है।घर मैं माँ - बाप नही थे बेचारी के भाइयो और भाभियों के साथ रह कर फुर्तीली हो गयी । अच्छी लड़की है , सारे काम खुद कर लेती है मुझे उठने भी नही देती कहती है " अम्मी बस आप इबादत किया करे बाकी सारे काम मैं कर लूंगी "
बेचारी ने साबित किया कि पसंद की और घर से भाग कर शादी करने वाली हर लड़की बुरी नही होती। कुछ मज़बूरी रही होगी जो इसने आरिफ से शादी की और अब निभा भी रही है , अगर दोनों बता देते तो मैं खुद दोनों की शादी करा देती माना की इसका खानदान और हमारा खानदान दोनों अलग अलग है लेकिन खानदान से किया होता है , आज कल ऊंचे खानदान की लड़किया ही नय्या डुबो रही है ससुरालो में अपने खानदान की " आमना ने कहा
तभी आरिफ भी आ जाता है , दोनों बहनो को देख कर खुश हो जाता और कहता " अच्छा हुआ तुम दोनों आ गयी तुम्हे देखने को भी दिल चाह रहा था और खाना खाया या नही अभी "
"बस खाने जा रहे है थोड़ी देर में " दोनों ने कहा
"तो आज किया बना लिया फरिया तुम ने दोनों के आने पर " आरिफ ने फरिया से पूछा
" भाई भाभी तो बिरयानी बना रही थी और आप को फ़ोन करके चिकन मंगा रही थी , लेकिन हमने ही मना कर दिया बेवजह गर्मी में परेशान होती हमारी वजह से इसलिए खिचड़ी बना रही है अब " ऐमन ने कहा
"अच्छा, और तुम्हारे ससुराल में सब कैसे है । और दूल्हा भाई नही आये तुम दोनों के साथ और सास नन्दे तंग तो नही कर रही अगर करे तो मुझे बताना मुझे ऐसी औरतों के पेच कसना अच्छे से आता है । जो अपनी बहुओ पर जुल्म करते है " आरिफ ने पूछा
आमना ने उसकी कमर पर प्यार से हाथ मारते हुए कहा " ऐसी बाते नही करते है , खुदा कभी ऐसी नौबत ना लाये जिसमे तुम्हे अपनी बहनो के ससुराल में जाकर हंगामा करना पड़े जो मजा सबके साथ मिल बाट कर रहने में है वो लड़ाई झगड़ो में नही "
"सही कहा अम्मी आपने , थोड़ी बहुत लड़ाई तो हर घर में चलती ही रहती है क्यूंकि दो बर्तन जहाँ होते है वो बजते भी है ।" ऐमन ने कहा
"तुम्हारे बहनोयी साथ नही है , तभी तो हम सब आज इतनी खुल कर बाते भी कर रहे है वरना तो उन लोगो के सामने सोच समझकर बोलना पड़ता है कि कही उन्हें कोई बात बुरी ना लग जाए, और फिर वो जिंदगी भर ताना देते रहे उस कही बात का " ऐमन ने कहा
"आप लोग आकर खाना खा लीजिये, खाना लगा दिया है " फरिया ने कहा
"चलो सब लोग हाथ धो और खाना खाने चलो , अम्मी को मैं ला रहा हूँ " आरिफ ने आमना को पलंग से नीचे उतारते हुए कहा।
सब लोग हाथ धोकर खाना खाने बैठ जाते है , तभी दरवाज़े पर दस्तक होती।
आरिफ दरवाज़ा खोलता तो देखता कि अनुज दरवाज़े पर खड़ा था जो खाना लेने आया था तबरेज का
" आरिफ भाई , तबरेज उस्ताद का खाना दें दीजिये वो आज घर पर खाना खाने नही आएंगे दोपहर का, क्यूंकि बड़े उस्ताद घर पर है अपने और दुकान पर काम ज्यादा है , इसलिए मैं खाना खा कर तबरेज भाई का खाना लेने आया हूँ " अनुज ने कहा
"आओ अनुज अंदर आओ बाहर क्यू खड़े हो, अभी खाना बंध वा देता हूँ, तुम्हारी भाभी से कह कर, तो मामू आज दुकान पर क्यू नही आये , कुछ बताया उन्होंने " आरिफ ने पूछा
" जी वो तबरेज भाई ने फ़ोन करके , बड़े उस्ताद से पूछा तो उन्होंने बताया की वो बीमार है इसलिए नही आएंगे " अनुज ने बताया
"मामू बीमार है , लेकिन अम्मी ने तो नही बताया ज़रूर अम्मी को भी मालूम नही होगा " आरिफ ने अपने आप से कहा
"आरिफ दरवाज़े पर कौन आया है ?" आमना ने पूछा
"अम्मी मामू की दुकान से अनुज, भाईजान का खाना लेने आया है आज वो खाना खाने घर नही आएंगे क्यूंकि मामू बीमार है, फरिया तुम जाकर जरा खाना बांध दो भाईजान का " आरिफ ने अंदर आ कर अपनी माँ और बीवी से कहा
"भाईजान बीमार है और मुझे बताया नही "आमना ने कहा
"अरे अम्मी परेशान मत हो, मौसम बदल रहा है इसीलिए थोड़ा बुखार आ गया होगा और अब उनकी उम्र भी हो चली है आप खाना खाओ , मैं अभी आपकी बात मामू से करवा दूँगी परेशान मत हो " ऐमन ने कहा।
फरिया खाना बांध कर अनुज को दें देती है और अनुज वहा से चला जाता है दुकान पर ।
"तबरेज भाई आपका खाना "अनुज ने कहा
"कोई पूछ तो नही रहा था मेरा कि मैं आज क्यू नही आया खाना खाने, और कौन कौन था घर पर "अनुज ने कहा
"आरिफ भाई आये थे दरवाज़ा खोलने आपका पूछ रहे थे। कि आप क्यू नही आएंगे खाना खाने ? इसलिए मेने उन्हें बता दिया कि उस्ताद बीमार है इसलिए दुकान पर तबरेज भाई अकेले है , इसलिए नही आएंगे " अनुज ने कहा
" तुमने बता दिया कि उस्ताद बीमार है "तबरेज ने पूछा
"नही बताना था क्या?" अनुज ने पूछा
" कोई बात नही अगर बता दिया तो, बस मामू ने मना किया था क्यूंकि उनकी बहन बेवजह परेशान हो जाएगी उन्हें बीमार देख कर " तबरेज ने कहा
"आंटी को ऐमन दीदी ने समझा दिया था कि वो सिर्फ और सिर्फ मौसम बदलने कि वजह से बीमार हुए होंगे और फ़ोन पर बात भी करवा देंगी " अनुज ने कहा
"ऐमन कब आयी सुबह तक तो थी नही " तबरेज ने पूछा
"ऐमन और मिराल दीदी दोनों थी लेकिन उनके पति नही दिख रहे थे शायद अकेली आयी थी " अनुज ने कहा और काम पर लग गया
"अच्छा, अकेली आयी होंगी शाम को जाऊंगा तो मिल लूँगा मुझसे मिली बिना नही जाएंगी दोनों की दोनों " तबरेज ने कहा और काम में लग गया ।
हम्माद अपने अवारा दोस्तों के साथ बैठा था तभी उसका दोस्त कहता है " और तेरी आशिकी केसी जा रही है जोया के साथ "
"अरे कहा, नखरे बहुत है उसके बस शादी करने का कहती रहती है " हम्माद ने कहा
"तो करले उससे शादी अगर प्यार करता है तो" उस दोस्त ने कहा
"पागल है क्या तू , मैं और शादी अभी, कभी भी नही इतनी जल्दी शादी कौन करता है " हम्माद ने कहा
"तो फिर उससे साफ साफ मना क्यू नही कर देता, कि तू उससे शादी नही कर सकता बेचारी बेवजह तेरे साथ ख्वाब देख रही है उसे किया पता कि तू उसके साथ सिर्फ और सिर्फ टाइम पास कर रहा है " उसके दोस्त ने कहा
"उसके अब्बू खड़ूस कभी भी मेरी शादी उसके साथ नही करेंगे , वो मुझे पसंद नही करते है । बस जब तक उसकी शादी नही होती तब तक उसके साथ टाइम पास करता रहूंगा और जैसे ही उसकी शादी हो जाएगी उसे छोड़ दूंगा " हम्माद ने कहा
इससे पहले उसका दोस्त कुछ कहता तभी हम्माद के पास जोया का फ़ोन आता और वो सबको चुप रहने का बोल कर फ़ोन उठाता और कहता " क्या हुआ मेरी जान को इस समय फ़ोन क्यू किया है , कॉलेज की छुट्टी हो गयी किया "
"हाँ, आज कॉलेज की छुट्टी हो गयी मुझे लेने आ जाओ गर्मी बहुत है, रिक्शा से नही आउंगी फिर साथ में आइसक्रीम भी खा लेंगे " ज़ोया ने कहा
"अच्छा अभी आता हूँ, कॉलेज के बाहर मेरा इंतज़ार करो " हम्माद ने कहा और फ़ोन रखते हुए वहा से निकल पड़ता है ।
"सारे मजे इसके ही है , बाइक, मोबाइल और लड़की भी और पैसा भी और खूबसूरत भी " हमारी शकल की तरफ तो कोई लड़की मुँह उठा कर भी नही देखती काले लड़के को कौन पसंद करेगी एक दोस्त ने कहा।
तबरेज दुकान पर काम कर रहा था । तभी किसी का फ़ोन आया और कहा " हमारी गाड़ी खराब हो गयी है किया आप आ कर ठीक कर सकते हो "
दुकान पर काम बहुत था और मामू भी नही थे इसलिए तबरेज ने मना करना चाहा लेकिन उस ग्राहक ने कहा " मुझे बहुत दूर जाना है और मेरी गाड़ी ख़राब हो गयी है , मेने बड़ी उम्मीद के साथ आपको फ़ोन लगाया है बाहर गर्मी बहुत है । आप आ जाएंगे तो बहुत मेहरबानी होगी "
तबरेज एक नर्म दिल का मालिक है , उसे किसी को भी परेशानी में नही देखा जाता है इसलिए वो तुरंत उसकी मदद करने को पहुंच गया अपने औज़ार लेकर उससे उसका पता पूछ कर ।
हम्माद भी ज़ोया के कॉलेज पहुंच गया और उसे बाइक पर बैठा कर अपने साथ ले चला ।
"आज बहुत ही गर्मी है " ज़ोया ने कहा
"तुम तो नकाब में हो फिर इतनी गर्मी क्यू हो रही है " हम्माद ने फ़्लर्ट करते हुए कहा
ज़ोया ये सुन मुस्कुराई और बोली आगे जो आइसक्रीम का ठेला लगा है वहा रोक लेना आइसक्रीम खाते है साथ में।
"किसी ने देख लिया तब " हम्माद ने कहा
"कोई नही देखेगा और वैसे भी इतनी गर्मी में किसे पड़ी है की वो बाहर निकलेगा " ज़ोया ने कहा
हम्माद ने गाड़ी ले जाकर आइसक्रीम के ठेले के पास रोक दी और दो ओसक्रीम बनाने को कहा आइसक्रीम वाले से।
हम्माद के पास किसी का फ़ोन आया और वो वाशरूम जाने के बहाने से थोड़ा आगे चला आया ।
ज़ोया जो आइसक्रीम के ठेले के पास खड़ी हम्माद के आने का इंतज़ार कर रही थी । उसने अपना नकाब हटाया और पानी पिया।
तबरेज जो की वही गाड़ी के नीचे लेटा काम कर रहा था उसकी नज़र अचानक से ज़ोया पर गयी जिसे देखते ही उसके दिल में कुछ हुआ, ऐसा पहली बार हुआ था उसके साथ की किसी लड़की को उसने प्यार भरी नज़र से देखा हो वो हमेशा लड़की को देख अपनी नज़रे नीचे कर लेता था ।
पर ना जाने ज़ोया में उसे किया ऐसा दिखा की वो अपना काम छोड़ कर सिर्फ और सिर्फ उसे देखने लगा। उसकी बड़ी बड़ी आँखे थी बिलकुल हिरणी जैसी उसका सूखता गला जिसे वो पानी से गीला कर रही थी ।
उसके माथे पर पडती शिकन जिसे देख यही लगता की वो किसी को ढूंढ रही है ।
तबरेज उसे देख ही रहा था की तभी उस गाड़ी के मालिक ने उसे दो तीन आवाज़ दी तब जाकर वो वर्तमान में लोटा नही तो खो सा गया था । ज़ोया को देख कर ।
वो दोबारा काम में लग गया । लेकिन जब वो काम से निबटा और उसने आइसक्रीम के ठेले की तरफ नज़र दोड़ाई तो वहा कोई नही था ।
"क्या हुआ उस्ताद किसी को ढूंढ रहे है शायद" कार के मालिक ने पूछा
" अरे नही नही ऐसी कोई बात नही, बस आज गर्मी कुछ ज्यादा है इसलिए आइसक्रीम के ठेले पर भीड़ भी अधिक है बस वही देख रहा हूँ "तबरेज ने बात बनाते हुए कहा
उस आदमी ने तबरेज का शुक्रिया अदा किया और उसकी मजदूरी देकर चला गया ।
तबरेज की निगाहेँ अभी भी आइसक्रीम के ठेले पर टिकी उसे ही तलाश रही थी ।
क्या तबरेज दोबारा मिल पायेगा ज़ोया से जानने के लिए पढ़ते रहिये मकाफ़ात -ए -अमल हर सोमवार को
09/05/22
Haaya meer
10-May-2022 06:26 PM
Amazing
Reply
Mohammed urooj khan
10-May-2022 11:36 AM
धन्यवाद आप सब का तेह दिल से 🙏🙏🙏पढ़ कर सराहने के लिए
Reply
Neha syed
10-May-2022 11:34 AM
Very nice
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